होम डिलीवरी का संकट

होम डिलीवरी का संकट

कोविड लॉकडाउन के दौरान भारत में होम डिलीवरी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ा था। लेकिन कोविड के बाद बदले हालात और दुनियाभर में छाए वित्तीय संकट ने इस कारोबार को भी संकटग्रस्त बना दिया है। भारत में कोरोना काल के बाद से कई बड़ी कंपनियों ने दस-दस मिनट में घर के सामान और खाने की डिलीवरी वाली सेवाएं शुरू की। इनमें जोमैटो जैसी स्थापित कंपनी से लेकर जेप्टो और ब्लिंकिट जैसे स्टार्टअप तक शामिल थे। लेकिन किसी भी कंपनी को वैसी सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद की जा रही थी। हाल में ब्लिंकिट ने अपने डिलिवरी ब्वॉयज के लिए डिलीवरी चार्ज 25 से घटाकर 15 रुपये की, तो उसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया।

इसके पहले जनवरी में जोमैटो ने अपनी 10 मिनट की डिलीवरी सर्विस जोमैटो इंस्टैंट को बंद कर दिया। इसका कारण रहा कि कंपनी को इस बाजार में ना तो विस्तार नजर आ रहा था, ना मुनाफा। हालांकि कंपनी ने कहा कि वह अपनी रिब्रैंडिंग कर रही है, लेकिन मीडिया से बातचीत में कंपनी के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि  कंपनी को इतना काम भी नहीं मिल पा रहा था कि रोज का खर्च निकल सके। कुछ जानकारों के मुताबिक ये कंपनियां भी दस मिनट में डिलीवरी के वादे पूरे नहीं कर पा रही थीं। जिन लोगों ने इन सेवाओं को आजमाया, उन्हें बहुत ही खराब नतीजे मिले।

हाल के सालों में भारत में ऑनलाइन डिलीवरी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ा है। आने वाले सालों में इसके और विशाल होने का अनुमान लगाया गया है। रेडसीअर कंपनी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2025 तक भारत का हाइपर-लोकल डिलीवरी बाजार 50-60 फीसदी बढक़र 15 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। लेकिन ऐसी डिलीवरी की अपनी लागत है। आरंभ में कारोबार फैलाने के लिए कंपनियों ने डिलीवरी ब्वॉयज को काफी इन्सेंटिव दी। लेकिन बाद में मुनाफा बढ़ाने की कोशिश में उन पर ही मार पडऩे लगी। वजह यह है कि ऑनलाइन डिलीवरी का खर्च उठाने की स्थिति में ज्यादातर भारतीय उपभोक्ता नहीं हैं। या कम से कम ऐसा करने की उनकी दिमागी तैयारी नहीं है। इसलिए ये कारोबार आज कई सवालों से घिर गया है। कोविड लॉकडाउन के दौरान भारत में होम डिलीवरी का बाजार बढ़ा था। लेकिन कोविड के बाद बदले हालात और दुनियाभर में छाए वित्तीय संकट ने इस कारोबार को भी संकटग्रस्त बना दिया है।

Samachaar India

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *